शिकारी का वादा | shikari ka vada
एक समय की बात है, एक बहादुर शिकारी हुआ करता था, जिसका नाम अप्पू था। उसे जंगली जानवरों का शिकार करना बहुत पसंद था उसे अपनी तीरन्दाजी पर बहुत घमंड था। वह एक छोटे से घर में रहता था। यह घर बहुत ही सुंदर था घर के चारों तरफ आपस में सटे हुए घने पेड़ों के कारण सुहावना दृश्य था उन पेड़ो के इर्द-गिर्द गोल चक्कर वाली पगडंडियां आंखमिचौली खेलती रहती थीं| इधर-उधर पहाड़ियों के बीच से बहुत से झरने गिरते थे और घाटी में वह निकलते थे।
shikari ka vada
एक दिन हमेशा की ही तरह अप्पू जंगल में शिकार के लिए गया । वह पेड़ो के पीछे छिप गया और अपने शिकार का इंतजार करने लगा। तभी उसे पास में पत्तियों की चरमराहट की आवाज़ सुनाई दी। उसने अपनी कमान पर तीर चढ़ाया और एक के बाद एक कई तीर चला दिए। लेकिन तीर अपने निशाने से चूक गए और छुपा हुआ जानवर भाग निकला। अप्पू पूरे दिन इंतजार करता रहा, लेकिन उसे कोई शिकार न मिला। lekin shikari ka vada apne aap se tha ki chahe jo ho aaj to shikar kar ke hi lautega aur age badhta gaya.
आसमान में बादल घिर आए थे और जंगल में अंधेरा छाने लगा था। देखते ही देखते, बूंदाबांदी शुरू हो गई, लेकिन अप्पू घर खाली हाथ नहीं लौटना चाहता था। वह बरसते हुए पानी में ही जंगल में और आगे बढ़ता गाया। तभी उसे पेड़ के बीच एक सुंदर झील दिखाई पड़ी। जैसे ही वह उसके नज़दीक पहुंचा, उसने एक दर्दनाक आवाज़ सुनी, जैसे कोई भारी दर्द से कराह रहा हो। झील पर पहुंचते ही उसकी नजर एक खूबसूरत सारस पर पड़ी। झील के किनारे उसकी टांगे कांटों में उलझ गई थीं।
एक पल के लिए तो वह खुशी से उछल पड़ा कि आखिरकार उसे अपना शिकार मिल ही गया। उसने सोचा कि सारस को मार कर वह उसे घर ले जाएगा। लेकिन उस खूबसूरत पक्षी की तकलीफ देख कर उसका दिल पिघल गया । वह इतना पत्थर दिल भी नहीं था कि दर्द से कराहते हुए जानवर को मारता । उसे तो बचाने की जरूरत थी। इसलिए वह पक्षी के नजदीक गया और उसने कहा, “तुम बिल्कुल मत घबराओ! मैं तुम्हारे पैरों से वे कांटे निकाल दूंगा।"
सारस ने उसकी ओर कृतज्ञता से देखा और कहा, "मैं इस मदद के लिए तुम्हारा बहुत आभारी रहूंगा। मेरे माता-पिता बुड़े हैं और भोजन लाने के लिए वे मरा इंतजार कर रहे हैं। उनकी सेवा के लिए और कोई भी नहीं है। यदि में नहीं लौटता हूं तो ये मेरा इंतजार करते-करते मर जाएंगे।" अप्पू ने सारास के पैरों से कांटे निकाल दिए और इस तरह सारस अपने घर के लिए उड़ गया। हालांकि अप्पू एक शिकारी था, लेकिन उसने सारस को मारने की बजाय उसकी रक्षा की। वह खाली हाथ घर लौटा, लेकिन आज वह बहुत खुश था।
इस घटना ने अप्पू को बदल कर रख दिया। अब उसे शिकार में दिलचस्पी नहीं रह गई थी, बल्कि अब दूसरे शिकारियों के जाल से जानवरों और पक्षियों को बचाने में उसे बहुत खुशी मिलती थी। उसने अपने घर के आसपास जानवरों और पक्षियों के लिए दाना-पानी रखना शुरू कर दिया। उसे उम्मीद थी कि जानवर आजादी से आएंगे जाएंगे।
एक दिन उसके दरवाजे पर दस्तक हुई। उसने दरवाजा खोला तो देखा, एक
सुंदर लड़की बाहर खड़ी थी। उसने कहा "क्या मैं तुम्हारे घर में रह सकती हूँ? मैं
बिल्कुल अकेली हूँ मैं काम में तुम्हारा हाथ बटाऊंगी। मैं तुम्हारे लिए कोई परेशानी
नहीं खड़ी करूंगी।"
उस सुंदर लड़की को देख कर अप्पू बहुत खुश हुआ। लड़की को भेजने के लिए उसने भगवान का शुक्रिया अदा किया उसे अब जंगाल में अकेले रहते हुए बोरियत होने लगी थी। इसलिए उसने तपाक से कहा, "हां! हां !! क्यों नहीं। तुम बिल्कुल यहां रह सकती हो।"
लड़की ने कहा, "लेकिन मेरी एक शर्त है। तुम मेरी इजाजत के बिना मेरे कमरे
में कभी नहीं घुसोगे।" अप्पू ने कहा, "मैं वादा करता हूं।"
अप्पू और वह लड़की खुशी-खुशी, साथ-साथ रहने लगे। हर सुबह वह लड़की सफेद पंखों से बना हुआ एक शॉल, अप्पू को भेंट करती अप्पू उसे ले कर बाजार जाता और अच्छी कीमत में बेच आता।
जैसे-जैसे दिन गुजरे, अप्पू को उत्सुकता होने लगी कि आखिर वह लड़की अपनी इजाजद के बिना उसे अपने कमरे में क्यों नहीं आने देती ! इसलिए एक दिन जब लड़की अपने कमरे में गई, अप्पू ने यह देखने के लिए धीरे से दरवाजा खोला कि आखिर वह क्या कर रही है। और उसने क्या देखा? कमरे में वही सारस खड़ा था, जिसे अप्पू ने झील के किनारे पर बचाया था ।
इस घटना ने अप्पू को बदल कर रख दिया। अब उसे शिकार में दिलचस्पी नहीं रह गई थी, बल्कि अब दूसरे शिकारियों के जाल से जानवरों और पक्षियों को बचाने में उसे बहुत खुशी मिलती थी। उसने अपने घर के आसपास जानवरों और पक्षियों के लिए दाना-पानी रखना शुरू कर दिया। उसे उम्मीद थी कि जानवर आजादी से आएंगे जाएंगे।
एक दिन उसके दरवाजे पर दस्तक हुई। उसने दरवाजा खोला तो देखा, एक
सुंदर लड़की बाहर खड़ी थी। उसने कहा "क्या मैं तुम्हारे घर में रह सकती हूँ? मैं
बिल्कुल अकेली हूँ मैं काम में तुम्हारा हाथ बटाऊंगी। मैं तुम्हारे लिए कोई परेशानी
नहीं खड़ी करूंगी।"
उस सुंदर लड़की को देख कर अप्पू बहुत खुश हुआ। लड़की को भेजने के लिए उसने भगवान का शुक्रिया अदा किया उसे अब जंगाल में अकेले रहते हुए बोरियत होने लगी थी। इसलिए उसने तपाक से कहा, "हां! हां !! क्यों नहीं। तुम बिल्कुल यहां रह सकती हो।"
लड़की ने कहा, "लेकिन मेरी एक शर्त है। तुम मेरी इजाजत के बिना मेरे कमरे
में कभी नहीं घुसोगे।" अप्पू ने कहा, "मैं वादा करता हूं।"
अप्पू और वह लड़की खुशी-खुशी, साथ-साथ रहने लगे। हर सुबह वह लड़की सफेद पंखों से बना हुआ एक शॉल, अप्पू को भेंट करती अप्पू उसे ले कर बाजार जाता और अच्छी कीमत में बेच आता।
जैसे-जैसे दिन गुजरे, अप्पू को उत्सुकता होने लगी कि आखिर वह लड़की अपनी इजाजद के बिना उसे अपने कमरे में क्यों नहीं आने देती ! इसलिए एक दिन जब लड़की अपने कमरे में गई, अप्पू ने यह देखने के लिए धीरे से दरवाजा खोला कि आखिर वह क्या कर रही है। और उसने क्या देखा? कमरे में वही सारस खड़ा था, जिसे अप्पू ने झील के किनारे पर बचाया था ।
सारस धीरे-धीरे अपने पंखों को निकाल रहा था और उनसे शॉल बना रहा था। जब सारस ने अप्पू की ओर देखा तो उसकी आंखें आंसुओं से भरी हुई थीं। सारस ने कहा, "तुमने अपना वादा तोड़ा है, अब मैं तुम्हारे साथ नहीं रह सकता। यह शॉल लो। यह तुम्हारे लिए मेरी तरफ से आखिरी भेंट है।" यह कह कर सारस जंगल में दूर उड़ गया और फिर अप्पू ने उसे दुबारा कभी नहीं देखा।
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