New 100 Moral Story Munmun ki Soojhboojh
Moral Story Munmun ki Soojhboojh
Moral Story सदियों से मानव संस्कृति का अभिन्न अंग रही हैं। ये बच्चों और वयस्कों दोनों को मूल्यवान जीवन सबक प्रदान करते हैं और नैतिक मूल्य सिखाते हैं। एक अच्छी Moral Story आपके जीवन पर स्थायी प्रभाव छोड़ सकती है। लक्ष्य एक ब्लॉग पोस्ट बनाना है जो नैतिक कहानियों के महत्व पर प्रकाश डालता हो|
एक दिन पानी पीने जाते हुए रास्ते में धानी ने मुनमुन से कहा, "बेटे मुनमुन ! मेरी एक बात ध्यान रखना…"
"क्या माँ?" मुनमुन ने बीच में ही टोककर पूछा। "यही कि मुसीबत आने पर कभी भी घबराना नहीं। बहादुरी से उस मुसीबत का सामना करना। "
"ठीक है माँ! मैं यह बात ध्यान रखूंगा।" मुनमुन ने कहा। दोनों नदी किनारे पहुँचकर पानी पीने लगे। तभी वहाँ पीछे से एक सियार आ गया।
सियार ने कहा, “वाह! आज तो पानी के साथ खाना भी यहीं मिल गया। "
धानी और मुनमुन घबराकर सोचने लगे कि अब कैसे बचा जाए? तभी मुनमुन बोला, “सियार मामा, आपका मुँह तो धूल में सना हुआ है। पहले मुँह तो साफ़ कर लीजिए, फिर हमें खा लेना ।"
सियार बोला, "अच्छा! तुम मुझे मूर्ख बनाना चाहते हो। मैं नदी की तरफ़ जाऊँगा, तुम भाग जाओगे।"
"नहीं मामा! चलो, हम भी आपके साथ चलते हैं। आप उधर जाकर मुँह धोलो। उधर पानी कम है।" मुनमुन ने उस ओर इशारा करते हुए कहा, जिधर पानी गहरा था तथा थोड़ी फिसलन भी थी। सियार मुँह धोने के लिए आगे की ओर झुका। पीछे से मुनमुन ने पूरा जोर लगाकर सियार को धक्का दे दिया।
फिसलन के कारण सियार संभल नहीं पाया और नदी में गिर पड़ा। मुनमुन अपनी माँ के साथ तेजी से जंगल की तरफ भाग गया।
इस तरह उसने अपनी सूझबूझ से अपनी और अपनी माँ, दोनों की जान बचाई। किसी ने ठीक ही कहा है- “मुसीबत में घबराना नहीं चाहिए। हिम्मत से उसका सामना करना चाहिए।"
"क्या माँ?" मुनमुन ने बीच में ही टोककर पूछा। "यही कि मुसीबत आने पर कभी भी घबराना नहीं। बहादुरी से उस मुसीबत का सामना करना। "
"ठीक है माँ! मैं यह बात ध्यान रखूंगा।" मुनमुन ने कहा। दोनों नदी किनारे पहुँचकर पानी पीने लगे। तभी वहाँ पीछे से एक सियार आ गया।
सियार ने कहा, “वाह! आज तो पानी के साथ खाना भी यहीं मिल गया। "
धानी और मुनमुन घबराकर सोचने लगे कि अब कैसे बचा जाए? तभी मुनमुन बोला, “सियार मामा, आपका मुँह तो धूल में सना हुआ है। पहले मुँह तो साफ़ कर लीजिए, फिर हमें खा लेना ।"
सियार बोला, "अच्छा! तुम मुझे मूर्ख बनाना चाहते हो। मैं नदी की तरफ़ जाऊँगा, तुम भाग जाओगे।"
"नहीं मामा! चलो, हम भी आपके साथ चलते हैं। आप उधर जाकर मुँह धोलो। उधर पानी कम है।" मुनमुन ने उस ओर इशारा करते हुए कहा, जिधर पानी गहरा था तथा थोड़ी फिसलन भी थी। सियार मुँह धोने के लिए आगे की ओर झुका। पीछे से मुनमुन ने पूरा जोर लगाकर सियार को धक्का दे दिया।
फिसलन के कारण सियार संभल नहीं पाया और नदी में गिर पड़ा। मुनमुन अपनी माँ के साथ तेजी से जंगल की तरफ भाग गया।
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