मिमी के लिए क्या लूँ? Top 10 New evergreen short stories
मिमी के लिए क्या लूँ? Top 10 New evergreen short stories
Storiesof panchatantra
माधव के पास एक बकरी थी।
उस बकरी का नाम मिमी था।
माधव मिमी को बहुत प्यार करता था।
मिमी भी माधव के आस-पास ही घूमती रहती थी।
मिमी का रंग सफ़ेद और भूरा था।
उसके कान बड़े-बड़े थे।
मिमी के बाल बहुत चमकते थे।
मिमी की आँखें बड़ी प्यारी थीं।
मिमी बहुत मुलायम थी।
माधव दिनभर उसे सहलाता रहता था।
वह उसे अपनी गोद में लिए फिरता था।
माधव को मिमी के मुलायम-मुलायम कान बहुत पसंद थे।
मिमी पूरे एक साल की हो गई थी।
मिमी का जन्मदिन आया।
माधव उसका जन्मदिन मनाना चाहता था।
वह मिमी के लिए एक तोहफ़ा खरीदना चाहता था।
माधव ने मम्मी से तोहने के लिए पैसे माँगे।
मम्मी ने बीस रुपये दे दिए।
माधव ने मिमी को नहला-धुलाकर तैयार किया।
वह मिमी को लेकर बाज़ार की तरफ़ निकल पड़ा।
माधव ने मिमी की रस्सी पकड़ रखी थी।
थोड़ी देर बाद माधव ने रस्सी खोल दी।
मिमी फ़ौरन इधर-उधर उछलने लगी।
माधव को मिमी का उछलना-कूदना बहुत पसंद था।
बाज़ार में सबसे पहली दुकान हलवाई की थी।
दुकान में खूब सारी मिठाइयाँ थीं।
हलवाई के पास खूब सारे लड्डू और रसगुल्ले थे।
उसके पास बहुत सारा दूध, दही और शरबत भी था।
तभी माधव की नज़र दूसरी तरफ़ की मिठाइयों पर पड़ी।
वहाँ रसगुल्ले, जलेबी और पेड़े रखे हुए थे।
माधव सोचने लगा कि मिमी के लिए क्या ले।
एक दोना जलेबी कैसी रहेगी?
अगली दुकान कपड़ों की थी।
दुकान पर बहुत सारे लोग कपड़े खरीद रहे थे।
वहाँ कमीजें, कुर्ते और पाजामे लटके हुए थे।
कुछ कपड़े शीशे की अलमारियों में रखे हुए थे।
माधव कमीज़ों की तरफ देखने लगा।
उसने पीली, नीली, हरी और गुलाबी कमीजें देखीं।
माधव सोचने लगा कि वह मिमी के लिए क्या ले।
लाल छींट वाली कॉलर की कमीज़ कैसी रहेगी?
अगली दुकान बर्तनों की थी।
दुकान पर खूब सारे बर्तन थे।
वहाँ बहुत सारे बर्तन स्टील के थे।
कुछ बर्तन पीतल के भी थे।
माधव सारे बर्तनों को देखने लगा।
वहाँ थालियाँ, कटोरियाँ, चम्मचें और गिलास रखे हुए थे।
माधव सोचने लगा कि वह मिमी के लिए क्या ले।
दूध के लिए एक कटोरा कैसा रहेगा?
अगली दुकान लुहार की थी।
उसकी दुकान पर तरह-तरह की चीजें थीं।
वहाँ तवे, कड़छी, जंजीरें और खूब सारी कीलें थीं।
लुहार गर्म-गर्म भट्टी पर कुछ बना रहा था।
माधव ने चारों तरफ़ नज़र घुमाई।
माधव सोचने लगा कि वह मिमी के लिए क्या ले।
उसकी नजर घुँघरुओं पर पड़ी।
माधव ने मिमी के लिए घुँघरू ले लिए।
माधव ने मिमी के दोनों पैरों में घुँघरू पहना दिए।
घुँघरू लाल रंग के सुंदर से धागे में बँधे हुए थे।
मिमी कूदती-फाँदती माधव के साथ चल दी।
सब लोग उसके घुँघरुओं की छुन छुन सुनने लगे।
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