अब यह व्हाइट फंगस क्या नयी आफत आ गई

अब यह व्हाइट फंगस क्या नयी आफत आ गई ?

v कोरोना
महामारी अभी प्रतिदिन देश में हजारों लोगों की जान ले रही है तो कुछ राज्यों में कोरोना
से ठीक हो चुके मरीजों में ब्लैक फंगस का खतरा बढ़ता ही जा रहा है।
v ब्लैक
फंगस के बाद अब यह एक नई बीमारी अपने पैर पसार रही है,
जिसका नाम व्हाइट फंगस या कैंडिडिआसिस है।
v व्हाइटफंगस के चार मरीज पटना में मिले हैं।
v पटना
मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल (PMCH) में माइक्रोबायोलॉजी
विभाग के प्रमुख S.N.Singh के अनुसार 4 मरीजों में कोरोना जैसे लक्षण थे, पर कोरोना नहीं था।
यह लोग व्हाइट फंगस से संक्रमित थे, इसलिए इनके उपचार में ऐंटिफंगल
दवाओं का प्रयोग किया गया और मरीज ठीक भी हो गये।
v इस
समय यह बीमारी घातक सिद्ध हो रही है । क्योंकि इससे संक्रमित व्यक्ति में कोविड-19
के पूरे लक्षण मिल रहे हैं। जिससे दोनों में अंतर करना कठिन हो रहा
है ।
v इससे
संक्रमित होने वाले लोगों में फेफड़ों को क्षति पहुंच रही है,
किडनी, आंत, मुंह का अंदरूनी
भाग खराब हो रहा है। इसके अलावा स्किन, नाखून, गुप्तांग और ब्रेन आदि को भी संक्रमित कर रहा है।
v H.R.C.T. में कोरोना जैसे लक्षण (धब्बे) दिखने पर रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट और फंगस के लिए
बलगम कल्चर कराना चाहिए।
v व्हाइट
फंगस के भी वही कारण हैं जो ब्लैक फंगस के हैं। जिन लोगों की प्रतिरोधक क्षमता कम होती
है,
जो डायबिटीज के शिकार हैं, जो अधिक एंटीबायोटिक
या फिर एस्टेरॉयड का सेवन करते हैं उन्हें इसका ज्यादा खतरा है।
कैंसर, ब्लड प्रेशर के मरीजों को भी यह अपनी गिरफ्त में बहुत जल्दी
ले लेता है।
v इससे बचाव के उपाय भी वही हैं जो ब्लैक फंगस के हैं जैसे इलाज करा रहे मरीजों को जिन्हें ऑक्सीजन या बेंटिलेटर पर रखा गया है। उनका ट्यूब, जीवाणु मुक्त होना चाहिए। अस्पताल की नमी को कम रखा जाना चाहिए। धूल और आद्र वातावरण से दूर रहना चाहिए आदि।
Ø कैंडिडिआसिस
एक प्रकार का फंगस होता है जो त्वचा में किसी भी स्थान पर इन्फेक्शन पैदा कर सकता है।
Ø सामान्यत:
त्वचा पर फंगस वातावरण के कारण तो रहते ही हैं लेकिन फंगस की संख्या बढ़ने और फंगस से
लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता जब कम होती है तो यह संक्रमण बढ़ जाता है।
Ø सामान्यता:
जो लोग पहले किसी बीमारी से ग्रसित होते हैं, उन्हें यह ज्यादा प्रभावित करती है।
Ø समय
पर इलाज न करने पर यह बीमारी घातक रूप धारण कर सकती है।
Ø इसके
लिए उत्तरदायी फंगस सामान्यत: बाल, नाखून या त्वचा के ऊपरी सतह पर वातावरण से आ जाते
हैं, लेकिन जब यह शरीर में प्रवेश करते हैं तो इनका प्रसार तेजी से होता है और घातक
रूप धारण कर लेता हैं।
Ø गर्म
व नम तापमान, ठीक से सफाई न करना, अधिक तंग कपड़े पहनने से हमें फंगस के बढ़ने की संभावना
ज्यादा होती है।
Ø यह देखा गया है कि यह शरीर के उन भागों में अपना विकास तेजी से करता है, जहां पसीना होता है।
इसका खतरा निम्न
दशाओं में बढ़ जाता है:-
1. अधिक
ऐंटीबायोटिक के उपयोग से।
2. अधिक
मात्रा में कार्बोहाड्रेट, चीनी, शराब तथा जंक फूड के सेवन से।
3. अत्यधिक
तनाव भी इसका एक कारण हो सकता है।
4. गर्भवती
महिलाओं, डायबिटीज और हाइपोथायरायडिज्म के मरीज इससे संक्रमित होने के लिए संवेदनशील
होते हैं।
5. इसमें
यह प्रयास किया जाता है कि इंफेक्शन रक्त तक न पहुंचे अन्यथा यह बहुत ज्यादा घातक हो
जाता है।
इस अवस्था में बुखार
आना, कमजोरी या थकान महसूस होना, मांस पेशियों
में दर्द होना, सिर दर्द और पेट दर्द की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
प्रकार:-
1. त्वचा पर होने वाला कैंडिडा इन्फेक्शन।
2. ओरल या थ्रस कैंडिडा इन्फेक्शन।
3. योनि
में होने वाला कैंडिडा इन्फेक्शन।
नोट:- यह जिस पार्ट में होता है उसी पार्ट का इलाज किया जाता है ।
पता कैसे लगायें :-
1. शरीर
के किसी अंग पर चकत्ते पड़ना या दाना निकलना ।
2. प्रभावित क्षेत्र के सेल्स का परीक्षण, इसके लिए बाल निकालकर, नाखून या प्रभावित
अंग का अन्य परीक्षण किया जा सकता है ।
3. बलगम
के माध्यम से परीक्षण ।
Ø
इलाज
के लिए ऐंटीफंगल दवाओं का प्रयोग किया जाता है। डॉक्टर की सलाह पर ही दवाओं का प्रयोग
किए जाएंगे।
Ø
घरेलू
उपचार के रूप में नमक वाले गर्म पानी का गरारा करना, दही का सेवन करना, नारियल के तेल
का प्रयोग करना, सेब का सिरका उपयोग में लाना, विटामिन सी के स्रोत का सेवन करना आदि।
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