Raju ka hiro top 10 hindi story

 राजू का हीरो top 10 hindi story


Raju ka hiro top 10 hindi story

एक शनिवार की दोपहर को राजू आरामकुर्सी में उदास बैठा हुआ था। उसकी एक टांग पर प्लास्टर चढ़ा हुआ था और वह सामने रखे हुए स्टूल पर एक तकिये पर अपने पैर को रखे हुए था।

उसने अपनी मां से कहा, "मां! मुझे इस तरह पड़े रहना बहुत अखरता है।"

मां ने कहा, "कोई बात नहीं! तुम कुछ ही दिनों में ठीक हो जाओगे। फिर तुम अपने दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलने लग जाओगे। अगर तुम बिना हिले-डुले बैठे रहोगे तो हड्डियां ठीक तरह से जुड़ जाएंगी। तुम टीवी पर क्रिकेट मैच क्यों नहीं देखते । तब तक मै रसोई में खाना बनाती हूं।”

राजू ने कहा, "नहीं देखना।" वह अभी भी उदास था। अपनी बाइक से गिर कर अपनी टांग तोड़ बैठना उसके लिए बहुत ही अफसोसजनक था। और वह भी तब, जब वह अपने बड़े भाई रेंजू और पित के साथ टेस्ट मैच देखने जा रहा था। यह उसके लिए पहला मौका था, जब वह तेंदुलकर को स्टेडियम में खेलता हुआ देख पाता। उसका तो जैसे सपना ही सच होने वाला था। एक राष्ट्रीय स्तर के समाचार पत्र के खेल पृष्ठ पर उसे 'क्रिकेट का महानायक' कहा गया था। दूसरे अखबार ने उसे 'जीनियस' लिखा था। मैच आज था और वह जा नहीं सकेगा, क्योंकि उसकी टांग टूटी हुई है। राजू फिर से बड़बड़ाया, "मुझे इससे बहुत चिढ़ होती है।"

पिता ने भी कहा, "कोई बात नहीं! टीवी पर तो मैच दिखाया ही जा रहा है। यह सीध प्रसारण होगा। उस भीड़भाड़ वाले स्टेडियम की बजाय घर पर आराम से बैठ कर मैच देखना तुम्हारे लिए ज्यादा अच्छा होगा।"

राजू ने कहा, "लेकिन मुझे इस तरह घर पर पड़े रहना अच्छा नहीं लगता।" इतने में ही बड़े भाई रेंजू ने कहा, “देखों मेरे पास क्या है! यह सब मैं तुम्हारे लिए

लाया हूं। तुम टीवी देखते हुए इसका लुत्फ उठा सकते हो। इससे तुम्हारा मन प्रसन्न रहेगा।" अब राजू के चेहरे पर मुस्कराहट आई और वह केक खाने लगा। इतने में पिता जी छाता ले कर वहां आए और उन्होंने रेंजू से कहा, "बेटा! अब हमको चलना चाहिए।” रेंजू ने कहा, "राजू ! मैं तुम्हारे लिए सचिन के ऑटोग्राफ लेने की कोशिश करूंगा। उसकी ही राइटिंग में लिखा हुआ उसका नाम कितना बढ़िया लगेगा।"

राजू बहुत खुश था। उसने हाथ हिला कर अपने भाई और पिता का अभि वादन किया और मां से टीवी चालू करने के लिए कहा। इस बीच वह चॉकलेट केक और पॉपकार्न का आनंद उठाता रहा। उसने पूरे दिन टीवी देखा। जब उसके पैरों में खुजलाहट शुरू हुई तो वह प्लास्टर के कारण खुजला नहीं सका। बह लंबे समय से एक ही मुद्रा में बैठे-बैठे अकड़न महसूस कर रहा था। उसने अपनी मां से कहा, “मां!

मुझे यह प्लास्टर बिल्कुल अच्छा नहीं लगता।"

मां ने कहा, "तुम चिंता न करो ! यह सब जल्दी ही ठीक हो जाएगा।"

"मुझे अपने पैरों पर यह प्लास्टर बिल्कुल नहीं चाहिए। मैं तो पिताजी और रेंजू के साथ मैच देखना चाहता हूं। मैं सचिन का खेल देखना चाहता हूं।"

भारत मैच जीत गया। जब पिताजी और रेंजू वापस लौटें तो वे बहुत खुश थे। पिता जी मुस्करा रहे थे और रेंजू गाना गा रहा था। “इंडियन आर दि बेस्ट !! इंडियन आर दि बेस्ट !!"

उसके पिता ने कहा, “राजू ! मैंने तुम्हारे लिए वहां से यह हैट खरीदा है। तुम्हें मालूम है, हम ऑस्ट्रेलिया से 100 रनों से जीत गए हैं!”

राजू ने पूछा, "क्या आनपे सचिन को देखा?"

रेंजू ने कहा, "बिल्कुल ! उसने दो सौ रन बनाए और दो बहुत महत्त्वपूर्ण विकेट भी लिए। मैच के आखिर में वह एक कैच लेते समय गिर गया। उसे देखभाल के लिए मैदान के बबीर ले जाया गया।" राजू ने कहा, "ईश्वर करे ! उसे कुछ ज्यादा चोट न लगी हो! तो क्या तुम सचिन का ऑटोग्राफ नहीं ले पाए?"

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रेंजू ने कहा, "नहीं! मुझे खेद है कि मैं नहीं ले पाया, परंतु अगली बार जरूर कोशिश करूंगा।" दूसरे दिन अखबार की पहली खबर थी, "सचिन को कंधे पर चोट लगी। वह दो सप्ताह तक नहीं खेल पाएगा।" प्लास्टर निकलने का समय आ गया। राजू अस्पताल गया। वहां काफी लोग थे। राजू को थोड़ा इंतजार करना पड़ा। थोड़ी ही देर में नर्स आई। उसने कहा, 'राजु ! अब आपकी बारी है।" राजू एक कमरे में गया। वहां नर्सों ने उसके प्लास्टर को किनारों से काटा। उनके हाथों में बड़ी-बड़ी मजबूत कैंचियां थीं। डॉक्टर ने उसके पैर की जांच की और कहा, "बढ़िया सुधार हुआ है!” नर्स ने एक नया प्लास्टर उसके पैर पर लगाया। वह अपनी मां के साथ वेटिंग रूम में वापस आया।

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नर्स ने कहा था, "राजू! बस दो सप्ताह और इंतजार कर लो। उसके बाद तुम क्रिकेट खेल सकोगे।" Raju ka hiro top 10 hindi story

पीछे बैठे हुए एक व्यक्ति ने कहा, "तो तुम्हें क्रिकेट बहुत पसंद है।" राजू ने उस पर ध्यान नहीं दिया। चूंकि राजू अपनी टांग को सामने रखे हुए स्टूल पर टिकाए हुए बैठा था, वह मुड़ कर बात करने की स्थिति में नहीं था। वह थोड़ा मुड़ते हुए बोला, "मैं क्रिकेट बहुत पसंद करता हूं। यह मेरी जिंदगी है। एक दिन मैं सचिन की तरह का क्रिकेटर बनना चाहता हूं।" पीछे बैठा हुआ व्यक्ति हंसा। उसने कहा, "तुम्हें सचिन अच्छा लगता है? सच में!!" राजू ने शान से कहा, "हां! बिल्कुल ! वह मेरा हीरो है!!"

पीछे बैठा हुआ व्यक्ति उठा और राजू के सामने आ कर खड़ा हो गया। अब राजू उसका चेहरा देख सकता था। राजू चिल्लाया, "सचिन ! मम्मी-मम्मी !! जल्दी इधर आओ!!! उसकी मां और नर्स जल्दी दौड़ कर आए कि क्या बात है, लेकिन जब

उन्होंने वहां सचिन को देखा, तो उनकी जुबान ही अटक गई। उन्हें सूझा ही नहीं कि वे क्या कहें। सचिन भी उस अस्पताल में अपने कंधे की जांच कराने आया था। राजू तुरंत सचिन की ओर मुड़ा। उसने कहा, "क्या मुझे एक ऑटोग्राफ दोगे? नहीं तो मेर दोस्त इस पर यकीन ही नहीं करेंगे कि मैं आपसे मिला था।"

सचिन ने कहा, "बिलकुल ! मैं तुम्हे ऑटोग्राफ दूंगा।" सचिन ने राजू के प्लास्टर पर ही लिख दिया, "राजू के लिए उसके हीरो की तरफ से शुभकामनाएं - सचिन तेंदुलकर ।"

उसके बाद डॉक्टर के पास जाने से पहले सचिन ने राजू और उसकी मां से बातें

की। जब उसके पैर से प्लास्टर निकाला गया तो राजू ने उसे अपने कमरे में ऊपर

टांग दिया। अब हर रोज वह सचिन के ऑटोग्राफ को देख कर ही स्कूल के लिए

रवाना होता था।

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