बेर की गुठली | Ber ki guthali

 बेर की गुठली



बेर की गुठली

 

एक बार मैं बेर खा रहा था कि गुठली मेरे पेट में चली गई। मैंने कुसुम मौसी को बताया। कुसुम मौसी ने डराते हुए कहा, “बेर की गुठली पेट में चली गई! तू सच बोल रहा है! बस बच्चू! ठहर जा अब कुछ रोज बाद तेरे सिर पर बेर का पेड़ उग जाएगा!" मुझे विश्वास नहीं हुआ। मैंने सोचा ऐसा कैसे हो सकता है? मैंने पूछा, “आपने देखा है कोई ऐसा आदमी जिसके सिर पर बेर का पेड़ उग गया हो?” उन्होंने बड़े विश्वास से कहा, "हां-हां! तुझे भी दिखा दूंगी किसी दिन !”

 

दूसरे दिन घर से स्कूल जाते समय मैं पूरे रास्ते हर आदमी का सिर ध्यान से देखता रहा, लेकिन किसी के सिर पर मुझे बेर का पेड़ उगा हुआ दिखाई नहीं दिया। हां, एक मोटा-सा लड़का जरूर दिखाई दिया जिसने सिर पर टोपी पहन रखी थी। मैंने सोचा, हो सकता है इसने भी बेर की गुठली निगल ली हो और जब सिर पर पेड़ उग आया तो अब उसे छिपाने के लिए टोपी पहनना शुरू कर दिया है।

 

कुछ रोज बाद हमारी गली से एक बारात निकल रही थी दूल्हा घोड़ी पर बैठा था आगे बैण्ड, पीछे  बाराती दूल्हे ने अपने सिर पर खजुर के पत्तों से बना मोर- मुकुट पहन रखा था, जैसा कि मालवा  में उन दिनों रिवाज था  कुसुम मौसी ने आवाज देकर मुझे गैलरी में बुलाया और कहा, “देख! इसने भी बेर की गुठली निगल ली थी। उग गया इसके सिर पर बेर का पेड़ ?” मैंने ध्यान से देखा। दूल्हे की खजूर की पगड़ी मुझे सचमुच बेर के पेड़ जैसी लग रही थी

 

मैं कल्पना करने लगा कि मेरे सिर पर बेर का पेड़ उग गया है और मैं बालों में कंघी नहीं कर पा रहा हूं। कमीज भी ध्यान से पहनता हूं कि सिर पर उगे बेर के कांटों में उलझ जाए! मैंने अपनी कल्पना की आंखों से देखा कि कुछ रोज बाद पेड़ थोड़ा बड़ा हो गया है। जब नहाता हूं तो पेड़ को पानी मिलता है। अब पेड़ में लाल-लाल बेर लग गए हैं और उन्हें तोड़ने के लिए छोटे-छोटे बच्चे मेरे सिर से लटक रहे हैं। कोई दाहिने झुकाता है कोई बाएं, कोई आगे झुकाता है तो कोई पीछे!

 

एक रात सपना आया कि मैं स्कूल जा रहा हूं और रास्ते में एक कटखनी गाय मेरे पीछे पड़ गई है। उसे बेर खाने हैं। गाय नथुने फुलाए, सींग आगे किए मेरी तरफ दौड़ पड़ी है... और मैं उससे जान छुड़ाने के लिए जी-जान से भागा जा रहा हूं। मैं जहां भी जा रहा हूं - क्लासरूम में, बाथरूम में, छत पर... - वहीं पीछे-पीछे गाय जाती है। डर के मारे मुंह से चीख निकल गई। मैं उठ बैठा

     मैंने सोचा, “काश! बेर की गुठली मेरी लेटरीन के साथ निकल गई हो! लेकिन नहीं निकली होगी...तो ?”

            बहुत दिन डरता रहा। फिर इस बात को भूल गया

            लेकिन बेर-सीताफल-चीकू जैसे छोटी गुठली वाले फल आज तक नहीं खा पाया

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बेर की गुठली

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