रीतू का सबसे अच्छा दोस्त evergreen hindi kahaniya

रीतू का सबसे अच्छा दोस्त evergreen hindi kahaniya

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रीतू नाम की एक छोटी लड़की एक छोटे-से गांव में रहती थी। उसके गांव में कोई पचास घर होंगे। गांव के सभी बच्चे जंगल के उस पार बने हुए स्कूल में पढ़ने जाते थे। रास्ता लंबा था और जंगल के बीच से हो कर जाता था। आस-पास के कई गांव के बच्चे भी उसी स्कूल में पढ़ने आते थे। evergreen hindi kahaniya

रीतू बहुत प्यारी लड़की थी। उसे स्कूल जाना पसंद था। छुट्टी के दिनों में वह रसोई में मां के काम में हाथ बंटाती थी। रीतू को बगीचे में अपने कुत्ते के साथ खेलना भी अच्छा लगता था।

एक दिन हमेशा की तरह रीतू को स्कूल जाने में देर हो गई। वह जंगल के रास्ते से जा ही रही थी कि अचानक उसके कदम ठिठक गए। उसके रास्ते के बीचोंबीच

एक बड़ा-सा शेर खड़ा हुआ था।

शेर ने कहा, "कैसी हो प्यारी छुटकी! कहां जा रही हो?"

रीतू ने कहा, "स्कूल! और कहां?" कहते हुए उसने रास्ता बदलना चाहा, परंतु शेर का दरादा उसे जाने देने का नहीं था।

शेर ने कहा, "मैं तुम्हें रोज स्कूल जाते हुए देखता हूं।"

रीतू ने कहा, "कृपया मुझे जाने दो, नहीं तो मुझे देर हो जाएगी और मेरी टीचर मुझे सजा देंगी।" उसे टीचर के बारे में सोच कर ही डर लगा। टीचर ने रीतू को पहले ही चेता रखा था कि अगर वह दुबारा देर से आई तो उसे अंधेरे कमरे में बंद कर देगी।

शेर ने कहा, “ठीक है! अभी तो मैं तुम्हें जाने देता हूं लेकिन शाम को मैं यहीं तुम्हारा इंतजार करूंगा। मैं तुम्हारे स्कूल के बारे में जानना चाहाता हूं।" कह कर शेर ने रीतू को जाने दिया रीतू दौड़ कर स्कूल चली गई।

शाम को जब रीतू स्कूल से वापस लौटी तो रास्ते में वही शेर खड़ा हुआ उसका इंतजार कर रहा था। शेर ने कहा, "मुझे लगा था कि तुम अब कभी नहीं आओगी। अब बताओ कि आज स्कूल में क्या-क्या हुआ?" रीतू ने अपने स्कूल, टीचर, अपने अलग-अलग विषयों और मित्रों के बारे में शेर को बताया। उसने यह भी बताया कि गलती होने पर उसकी टीचर कैसी तरह-तरह की भयानक सजा देती हैं। उसका पसंदीदा विद्यार्थी सोमू था, जो था तो शैतान, लेकिन क्लास में अव्वल आता था। वह स्कूल प्रिंसिपल का बेटा था। टीचर सोमू को देख कर मुस्कराती थीं और दूसरे बच्चों के साथ कक्षा में शैतानी करने के बावजूद उसकी पीठ ठोंकती थी। बातें करते-करते शेर और रीतू जंगल के किनारे तक आ पहुंचे। शेर ने कहा,

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"अच्छा, फिर कल मिलते है।" और यह कह कर वह जंगल में चला गया। तब से शेर और रीतू हर रोज मिलने लगे। कभी-कभी तो शेर, रीतू को अपनी पीठ पर बिठा कर जंगल के दूसरे छोर तक पहुंचाता था, जिससे कि रीतू को स्कूल पहुंचने में देर न हो।

एक दिन हमेशा की तरह जंगल के छोर पर खड़ा हुआ शेर रीतू का इंतजार कर रहा था। उसने देखा कि रीतू उस रास्ते पर धीरे-धीरे चलते हुए आ रही थी। जब वह पास आई तो शेर ने देखा कि उसके हाथों के पीछे की ओर खरोंचे

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लगी हुई थीं। उसका चेहरा सूजा हुआ था और वह रो रही थी। अपने दोस्त को इस हालत में देख कर शेर बहुत परेशान हुआ। उसने चिंतित स्वर में पूछा, "रीतू! यह तुम्हें क्या हुआ? क्या तुम स्कूल में गिर गई थीं?"

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रीतू ने कहा, "नही! जब मैं अपनी कक्षा से बाहर निकल रही थी, तब सोमू ने मुझे धक्का दिया और मैं सीढ़ियों से गिर गई। वह हमेशा मेरे पीछे पड़ा रहता है। जब मैं गिरी और रोने लगी, तो सब बच्चे ताली बजा कर हंसने लगे और मुझे रोतली ! रोतली ! कह कर चिढ़ाने लगे!"

आंखों से लुढ़क कर आंसू उसके गालों पर गिर रहे थे। उसने शेर की गरदन में बांहें डालीं और उसकी गरदन के बालों में अपना चेहरा छुपा कर सिसकने लगी । शेर, रीतू की इस दशा से विचलित हो गया। उसने कहा, "तुम चिंता मत करो। हम उस सोमू के बच्चे को ऐसा सबक सिखाएंगे कि वह जिंदगी भर याद रखेगा।

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कल मैं तुम्हारे स्कूल आऊंगा और झाड़ियों के पीछे छुपा रहूंगा। जब तुम स्कूल से बाहर आओगी, तुम बस मुझे इशारे से बता देना कि सोमू कौन-सा बच्चा है।" ऐसा कह कर शेर ने रीतू को दिलासा दी और उसे पीठ पर बैठा कर जंगल पार कराया।

अगले दिन दोपहर में शेर स्कूल के बाहर झाड़ियों में छुपा हुआ रीतू का इंतजार कर रहा था। वह जब बाहर आई तो सोमू भी अपनी शौतान चौकड़ी के साथ उसके पीछे-पीछे आया। वे सब रीतू को "रोतली ! रोतली!” चिढ़ा रहे थे। रीतू झाड़ियों के पास गई और सोमू का इंतजार करने लगी। सोमू, रीतू के चारों तरफ घूम-घूम कर उसे और ज्यादा सताने लगा। कभी वह उसकी चोटी खींचता और कभी उसे धक्का

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मौका देख कर वह मुड़ा और फिर यूं भागा कि बस भागता ही चला गया। रीतू ने शेर को 'शुक्रिया' कहा। उसने कहा, “अब सोमू से मुझे डरने की जरूरत नहीं होगी।" योर ने कहा, "मैं तो आसानी से उसे लील जाता। मैं भूखा था, लेकिन मैं तुम्हे डराना नहीं चाहता था।" रीतू ने कहा, "और उसकी मां को भी यह अच्छा न लगता।” इस तरह उसे दिन रीतू की शान फिर वापस लौटी और वह खुशी-खुशी अपने घर गई।

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अगले दिन स्कूल में सभी बच्चे पिछले दिन की घटना पर बातें कर रहे थे। वे सब

सोमू की खिल्ली उड़ा रहे थे और उसे सबक सिखाने के लिए रीतू का शुक्रिया अदा

कर रहे थे। अब रीतू स्कूल का सितारा बन गई थी। हर कोई उसका सबसे अच्छा दोस्त बनना चाहता था।

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उस दिन दोपहर के भोजन की छुट्टी के समय सोमू आया और उसने रीतू से पूछा, “तुम्हारा वह दोस्त कहां है, जिसने इतनी जोर से दहाड़ा था?"

रीतू ने कहा, “आज वह यहां नहीं आया है।” सोमू ने घबरा कर पूछा, "तुम्हारा मतलब वह किसी दूसरे दिन आ सकता है?" रीतू ने कहा, "हां! बिल्कुल आ सकता है। इसलिए अब तुम जरा संभल कर रहना, मोटू।”

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